झील जल का वह स्थिर भाग है जो चारो तरफ से स्थलखंडों से घिरा होता है। झील की दूसरी विशेषता उसका स्थायित्व है। सामान्य रूप से झील भूतल के वे विस्तृत गड्ढे हैं जिनमें जल भरा होता है। झीलों का जल प्रायः स्थिर होता है। झीलों की एक महत्वपूर्ण विशेषता उनका खारापन होता है लेकिन अनेक झीलें मीठे पानी की भी होती हैं। झीलें भूपटल के किसी भी भाग पर हो सकती हैं। ये उच्च पर्वतों पर मिलती हैं, पठारों और मैदानों पर भी मिलती हैं तथा स्थल पर सागर तल से नीचे भी पाई जाती हैं।

एक अनूप झील
बैकाल झील

किसी अंतर्देशीय गर्त में पाई जानेवाली ऐसी प्रशांत जलराशि को झील कहते हैं जिसका समुद्र से किसी प्रकार का संबंध नहीं रहता। कभी-कभी इस शब्द का प्रयोग नदियों के चौड़े और विस्तृत भाग के लिए तथा उन समुद्र तटीय जलराशियों के लिए भी किया जाता है, जिनका समुद्र से अप्रत्यक्ष संबंध रहता है। इनके विस्तार में भिन्नता पाई जाती है; छोटे छोटे तालाबों और सरोवर से लेकर मीठे पानीवाली विशाल सुपीरियर झील और लवणजलीय कैस्पियन सागर तक के भी झील के ही संज्ञा दी गई है। अधिकांशत: झीलें समुद्र की सतह से ऊपर पर्वतीय प्रदेशों में पाई जाती हैं, जिनमें मृत सागर, (डेड सी) जो समुद्र की सतह से नीचे स्थित है, अपवाद है। मैदानी भागों में सामान्यत: झीलें उन नदियों के समीप पाई जाती हैं जिनकी ढाल कम हो गई हो। झीलें मीठे पानीवाली तथा खारे पानीवाली, दोनों होती हैं। झीलों में पाया जानेवाला जल मुख्यत: वर्ष से, हिम के पिघलने से अथवा झरनों तथा नदियों से प्राप्त होता है।

झीले बनती हैं, विकसित होती हैं, धीरे-धीरे तलछट से भरकर दलदल में बदल जाती हैं तथा उत्थान होंने पर समीपी स्थल के बराबर हो जाती हैं। ऐसी आशंका है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की बृहत झीलें ४५,००० वर्षों में समाप्त हो जाएंगी। भू-तल पर अधिकांश झीलें उत्तरी गोलार्ध में स्थित हैं। फिनलैंड में तो इतनी अधिक झीलें हैं कि इसे झीलों का देश ही कहा जाता है। यहाँ पर १,८७,८८८ झीलें हैं जिसमें से ६०,००० झीलें बेहद बड़ी हैं।[1] पृथ्वी पर अनेक झीलें कृत्रिम हैं जिन्हें मानव ने विद्युत उत्पादन के लिए, कृषि-कार्यों के लिए या अपने आमोद-प्रमोद के लिए बनाया है।

झीलें उपयोगी भी होती हैं। स्थानीय जलवायु को वे सुहावना बना देती हैं। ये विपुल जलराशि को रोक लेती हैं, जिससे बाढ़ की संभावना घट जाती है। झीलों से मछलियाँ भी प्राप्त होती हैं।

झीलों की उत्पत्ति

झील की उत्पत्ति के अनेक कारण होते हैं जिनमें मुख्य निम्नलिखित हैं-

हिमानी के कारण

हिमानी प्रदेशों के भूदृश्यों में भी अन्यधिक लाक्षणिक होती हैं। वस्तुत: वर्तमान समय में हिमानियों द्वारा निर्मित झीलें संख्या में इतनी अधिक हैं कि उनकी तुलना में और कारणों से निर्मित झीलें नगण्य हैं। ऐसी झीलों की उत्पत्ति का मुख्य कारण यह है कि जब हिमानियाँ अपनी पिघलने की अंतिम अवस्था में आ जाती हैं तब उनमें पाए जानेवाले हिमोढ़ (moraine) रोधन का कार्य करते हैं जिससे पिघला हुआ जल, ऊबड़ खाबड़ स्थल में एकत्रित होकर झील का आकार ले लेता है। हमारे देश में इस प्रकार की झीलें हिमालय में पाई जाती हैं।

विवर्तनिक हलचलों (tectonic movement) के कारण

पृथ्वी के अंदर होनेवाली हलचलों के कारण कभी कभी अंत:कृत गर्तों का निर्माण हो जाता है, जो जल से भर जाने पर अंत:कृत झीलों के जन्मदाता हो जाते हैं। कैस्पियन सागर इसका उदाहरण है।

ज्वालामुखी पर्वतों का कारण

प्रसुप्त ज्वालामुखी पर्वतों के ज्वालामुख (crater) भी जल भर जाने पर झीलों का रूप ले लेते हैं।

अवरोध के निक्षेप के कारण

कभी कभी पर्वतीय प्रदेशों में भूस्खलन हो जाने पर शैलों के विशाल भूखंड, नदियों के मार्ग में गिर पड़ते हैं, जिनसे उनका प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है और रुका हुआ जल, झील का रूप ले लेता है।

अवसाद के कारण

प्राय: देखा जाता है कि मैदानी भाग में नदियों में छाड़ (oxbow) का निर्माण हो जाता है। नदियों का विसर्पी मोड़ (meander) इसका प्रधान कारण है।

निरावरण (denudation) के कारण

चूना पत्थर के प्रदेशों में चूना पत्थर के घुलने से भूमि धँस जाती है, जिससे गर्त बन जाते हैं। कालांतर में ऐसे ही गर्त जल भर जाने पर झील बन जाते हैं।

झीलों का जीवनकाल

अधिकांशत: झीलें अस्थायी अस्तित्व की होती हैं। मनुष्य अपने जीवनकाल में ही उनकी उत्पत्ति, विकास और अंत की अवस्थाएँ देख लेता है। पर्वतीय प्रदेशों में जो झीलें अवरोधन के कारण बन जाती हैं, वे अवरोधन हट जाने पर शीघ्र ही लुप्त हो जाती हैं। नम देशों में झीलों के तल में अवसाद (sediment) एकत्र होने से वे छिछली हो जाती हैं और यदि उनमें से किसी नदी का उद्गम होता है, तो वे शीघ्र ही विलीन हो जाती हैं।

सबसे अधिक

तिब्बत की टिसो सिकरू संसार की सबसे ऊँची झील है जो तिब्बत के पठार पर १८,२८४ फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसके विपरीत मृत सागर संसार की सबसे नीची झील है, जो सागर तल से भी १,३०० फीट नीची है।[2] इसकी तली सागर तल से २,५०० फीट निचाई पर है।

कुछ झीलें अधिक गहरी होती हैं जैसे साइबेरिया की बैकाल झील, जिसकी गहराई १.६ किलोमीटर से अधिक है।[3] इसके विपरीत कुछ झीलें अत्यन्त उथली होती हैं। गर्मी के मौसम में सूख जाने के कारण ये मौसमी झील कही जा सकती हैं। क्षेत्रफल में झीलें छोटी-बड़ी, सभी तरह की होती है हिमानीकृत झील (टार्न झील) कुछ वर्ग मीटर तक ही विस्तृत होती हैं जबकि लाखों वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाली विस्तृत झीलें हैं। कैस्पियन सागर एक विस्तृत झील है जिसका क्षेत्रफल ४,३०,००० वर्ग किलोमीटर है। महाद्वीपों के आन्तरिक भागों में स्थित विस्तृत झीले जैसे कैस्पियन सागर, अरब सागर, मृत सागर, संयुक्त राज्य अमेरिका तथा कनाडा की बृहत झीलें, अफ्रीका की विक्टोरिया तथा साइबेरिया की बैकाल झीले आकार की दृष्टि से सागर के समान हैं।

सन्दर्भ

  1. "फिनलैंड के आकड़े". मूल से 17 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जनवरी 2009.
  2. "मृत सागर". इजरायल दूतावास. मूल (एचटीएमएल) से 2 दिसंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १२ फरवरी २००९. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  3. "बायकाल झील में चल रहे अन्तर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक अभियान का दूसरा दौर।" (पीएचपी). रेडियो रूस. अभिगमन तिथि १२ फरवरी २००९. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)[मृत कड़ियाँ]
pFad - Phonifier reborn

Pfad - The Proxy pFad of © 2024 Garber Painting. All rights reserved.

Note: This service is not intended for secure transactions such as banking, social media, email, or purchasing. Use at your own risk. We assume no liability whatsoever for broken pages.


Alternative Proxies:

Alternative Proxy

pFad Proxy

pFad v3 Proxy

pFad v4 Proxy